अगर जिन्ना देश के पहले पीएम बनते तो भारत का बंटवारा नहीं होता
तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के एक बयान के बाद भारत-पाकिस्तान के बंटवारे पर सियासत फिर गर्मा गई है. एक कार्यक्रम में दलाई लामा ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ज़िद को भारत पाकिस्तान के बंटवारे की वजह बताया. गोवा की राजधानी पणजी में कॉलेज के छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री का पद जिन्ना को सौंपना चाहते थे लेकिन पंडित नेहरू ऐसा नहीं चाहते थे. महात्मा गांधी के फैसले की अनदेखी ही भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की वजह बनी.
दलाई लामा का ये बयान एक छात्र के सवाल के जवाब में आया जब उसने पूछा कि हमें अपनी गलतियों से कैसे उबरना चाहिए. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने भारत- पाकिस्तान के बंटवारे का संदर्भ छेड़ा. उन्होंने कहा कि नेहरू एक अनुभवी इंसान थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने गलती की. सवालों के जवाब में उन्होंने नेहरू को आत्मकेंद्रित इंसान बताया. उन्होंने कहा, "जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बनना चाहते थे. अगर जिन्ना को PM बनाने की महात्मा गांधी की इच्छा मान ली जाती तो देश दो टुकड़ों में नहीं बंटता."
नेहरू देश से ज्यादा अपने बारे में सोचते थे'
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दलाई लामा के बयान पर सहमति दर्ज की. उन्होंने कहा कि गांधी जी का नेहरू के बारे में विचार ये था कि वो एक आत्मकेंद्रित व्यक्ति हैं. गांधी जी इस बात को जानते थे कि जवाहर लाल नेहरू देश से ज्यादा अपने बारे में सोचते हैं.
हालांकि कांग्रेस ने दलाई लामा के इस बयान के बहाने मोदी सरकार को निशाने पर ले लिया. कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि ऐसे बयान की पीछे कहीं न कहीं प्रधानमंत्री की चाल है.