मप्र के 10 लाख कर्मचारियों के लिए अगले बजट में 13 प्रतिशत डीए की घोषण हो सकती है

भोपाल. मप्र के 10 लाख कर्मचारियों, अधिकारियों और पेंशनर्स को 2021-22 के वित्तीय वर्ष में महंगाई भत्ता मिल सकता है। यह भी जुलाई 2021 से लागू होने की संभावना है। बजट की तैयारियों में लगे वित्त विभाग ने सभी विभागों से कह है कि वे 25 प्रतिशत डीए की गणना के साथ अपना प्रस्ताव भजें। इस समय साफ है कि मप्र के लोगों को 12 प्रतिशत डीए मिल रहा है लेकिन 25 प्रतिशत की गणना होती है तो अगले साल 13 प्रतिशत डीए का लाभ मिलेगा।

इंक्रीमेंट का बजट की तैयारियों में फिलहाल कोई जिक्र नहीं है। वित्त विभाग के इस कदम से यह भी स्पष्ट हो गया कि जुलाई 2019 में घोषित किए गए 5 प्रतिशत डीए का एरियर उन्हें नहीं मिलेगा। पहले कमलनाथ सरकार ने इसे लटकाया और अब कोविड के कारण नई भाजपा सरकार भी इस पर कोई चर्चा नहीं कर रही है।

एरियर की राशि कर्मचारियों के खाते में नहीं डाली गई

इस 5 प्रतिशत का एरियर ही कर्मचारियों को मिले तो सरकार पर 1200 करोड़ का भार आएगा। केंद्र सरकार ने जुलाई 2019 का एरियर दे दिया है यानि ताजा हालातों में केंद्रीय कर्मचारियों को 17 प्रतिशत और मप्र के लोगों को 12 प्रतिशत ही डीए मिल रहा है। अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना है कि यदि सरकार यह पैसा देती तो निश्चित रूप से यह बाजार में आता। वर्ष 2019-20 और 2020-21 मंे डीए और इंक्रीमेंट के एरियर का करीब तीन हजार करोड़ रुपए सरकार के खाते में ही रह जाएगा। यह तो दो वित्तीय वर्षों का ताजा मामला है।

नीतिगत तौर पर जब भी केंद्र सरकार डीए अनाउंस करती है तो राज्य भी उसे अपने कर्मचारियों के लिए लागू करती है लेकिन प्रदेश में डीए और उसके एरियर को लेकर काफी गफलत है। वर्ष 2004 से 2012 के बीच कभी भी प्रदेश के कर्मचारियों को डीए का एरियर नहीं दिया गया यानी केंद्र ने जनवरी से डीए दिया तो राज्य के कर्मचारियों को यह लाभ अप्रैल के महीने में मिला। इन तीन महीनों में बढ़े हुए एरियर की राशि कर्मचारियों के खाते में नहीं डाली गई। यह स्थिति लगातार 108 महीनों तक प्रदेश में हुई। इन महीनों के 10 हजार करोड़ रुपए का बकाया एरियर कर्मारियों को तो मिला ही नहीं।