मेयर से पार्षद तक कई चेहरे बदलेंगे; कांग्रेस में भी पुराने चेहरों से बाहर निकलने की छटपटाहट तेज

राजधानी में नगर निगम की सीट ओबीसी के लिए आरक्षित होने के साथ ही सियासी हलचल बढ़ने लगी है। भाजपा में इस चर्चा ने जोर पकड़ा है कि महापौर और पार्षदों के टिकट देते समय दिल्ली का फाॅर्मूला अपनाया जाए। वहां सभी को बदल दिया गया था। भाजपा नेतृत्व के सामने मुश्किल होगी कि वह युवा और नए चेहरों को कैसे सामने लाए, क्योंकि निकाय चुनाव में अभी तक विधायकों के हिसाब से ही टिकट बंटे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस में परिस्थितियां दूसरी हैं।

यहां कुछ पुराने चेहरों के साथ कांग्रेस नए चेहरों को लाएगी, क्योंकि दिग्विजय सिंह खेमा राजधानी में सियासी जमीन मजबूत कर सकता है। फिलहाल भाजपा से पूर्व महापौर व विधायक कृष्णा गौर तो कांग्रेस से पूर्व महापौर विभा पटेल का नाम आगे है। कृष्णा गौर भोपाल की गोविंदपुरा सीट से विधायक हैं। यह सीट बरसों से स्व. बाबूलाल गौर के पास रही।

बाद में बहु कृष्णा विधायक चुनी गईं। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान 2018 में इस सीट से कई दावेदार सामने आ गए थे, जिसमें स्थानीय से लेकर प्रदेश के दिग्गज नेता भी थे। टिकट अंतत: कृष्णा को मिला। यही सियासी खेल महापौर के चुनाव में खेला जा सकता है। कृष्णा गौर को महापौर का टिकट दिया जाता है तो 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा गोविंदपुरा सीट में नया चेहरा लाएगी। हालांकि इस संभावना से अलग भी विचार होगा, क्योंकि केंद्रीय भाजपा ने साफ कर दिया है कि नए व युवा कार्यकर्ता को तवज्जो मिले। ऐसे में दिल्ली निकाय चुनाव के उस फार्मूले पर भाजपा जा सकती है, जहां सभी चेहरे बदल दिए गए थे।

पार्टी सूत्र कह रहे हैं कि युवा व नए चेहरों का क्राइटेरिया जल्द सामने आएगा। क्योंकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव से लेकर संगठन तक नई टीम की झलक दिखने लगी है। भाजपा और कांग्रेस में बढ़त की लड़ाई अब तेज होगी। प्रत्यक्ष प्रणाली लागू होने के बाद से राजधानी में 20 साल नगर सरकार रही। चार बार चुनाव हुए, जिसमें पहले दो बार 1999 व 2004 में कांग्रेस जीती। वर्ष 2009 और 2014-15 में भाजपा का भोपाल सीट पर कब्जा रहा।

तीसरी बार भोपाल नगर निगम जीतने के लिए बढ़त का भी संघर्ष

भाजपा : नेताओं की पत्नियां भी दावेदार
2009 में सामान्य महिला सीट होने के बाद भी भाजपा ने ओबीसी चेहरा कृष्णा गौर को मैदान में उतारा। वो जीत गईं। इस बार ओबीसी महिला सीट है। लिहाजा खुद कृष्णा गौर ने दावेदारी रखने की तैयारी की है। जबकि भाजपा में नए चेहरे को आगे लाने की आवाज तेज होने के भी संकेत हैं। ऐसा होता है तो मालती राय, श्यामा पाटीदार, सीमा यादव, चंद्रमुखी यादव, कमलेश यादव, वंदना जाचक, तुलसा वर्मा, उमपा राय के साथ कभी महापौर पद के दावेदार रहे कुछ नेताओं की पत्नियां भी सामने आकर दावेदारी कर सकती हैं।

कांग्रेस : दिग्विजय सिंह पर रहेगी नजर

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह खेमे की चलती है तो पूर्व महापौर विभा पटेल बड़ा चेहरा होंगी। प्रत्यक्ष प्रणाली लागू होने के बाद पहली महापौर वही चुनी गई थीं। यदि विभा के अलावा नामों की तलाश हुई तो संतोष कंसाना या शबिस्ता जकी दो नाम चर्चा में हो सकते हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि भोपाल में कांग्रेस के तीन विधायकों आरिफ अकील, पीसी शर्मा और आरिफ मसूद की राय भी अहम होगी, क्योंकि चुनाव में इनकी सक्रियता मायने रखेगी। दिग्विजय सिंह के करीबियों की मानें तो सुरेश पचौरी की सहमति के बिना चुनाव मुश्किल होगा।

निकाय चुनाव- अमिट स्याही जल्द आएगी, बैलेट पेपर की भी तैयारी

आयाेग निकाय चुनाव की तैयारियाें में जुटा है। जल्द ही अमिट स्याही आने वाली है। चुनाव में उपयाेग हाेने वाले बैलेट पेपर छापने की भी तैयारी है। आयाेग काे 344 निकायाें में चुनाव करवाना हैं। वाेटर की उंगली पर लगने वाली अमिट स्याही का ऑर्डर हाे चुका है। हालांकि निकाय चुनाव पूरी तरह ईवीएम से हाेना हैं, लेकिन फिर भी कुछ बैलेट पेपर की जरूरत पड़ती है। बैलेट यूनिट में लगाने, टेंडर वाेट, चुनाव के काम में लगे कर्मचारियाें की वाेटिंग आदि के लिए बैलेट पेपर छपवाने हाेंगे। ये मतपत्र आयाेग ही सरकारी प्रेस में छपवाएगा।