कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2020 की वापसी की मांग किसानों को बिजली इंजीनियरों ने समर्थन दिया

ग्वालियर। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2020 की वापसी की मांग हेतु पिछले 7 दिनों से संघर्षरत किसानों को समर्थन देने का निर्णय लिया है । ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने आज यहां बताया कि इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2020 का ड्राफ्ट जारी होते ही बिजली इंजीनियरों ने इसका पुरजोर विरोध किया था | इस बिल में इस बात का प्रावधान है कि किसानों को बिजली टैरिफ में मिल रही सब्सिडी समाप्त कर दी जाए और बिजली की लागत से कम मूल्य पर किसानों सहित किसी भी उपभोक्ता को बिजली न दी जाए |

यद्यपि कि बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सरकार चाहे तो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के जरिए किसानों को सब्सिडी दे सकती है किंतु इसके पहले किसानों को बिजली बिल का पूरा भुगतान करना पड़ेगा जो सभी किसानों के लिए संभव नहीं होगा |

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने इस सवाल पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा है कि किसानों की आशंका निराधार नहीं है इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के लिए जारी स्टैंडई बिडिंग डॉक्युमेंट बिजली के निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए हैं ऐसे में सब्सिडी समाप्त हो जाने पर बिजली की दरें 10 से 12 रु प्रति यूनिट हो जाएगी और किसानों को 8 से 10 हजार रु प्रति माह का न्यूनतम भुगतान करना पड़ेगा |
मध्यप्रदेश यूनाइटेड फोरम फॉर पावर इम्प्लाईज एवं इनीनियर्स के संयोजक व्हीकेएस परिहार ने भी इसका समर्थन किया है और इलेक्ट्रिसिटी ( अमेंडमेंट ) बिल 2020 एवं एस.बी.डी. वापस लेने की मांग की है ।