एनसीआर से ग्वालियर क्षेत्र को बाहर करने की तैयारी, चंबल से पानी लाने के प्रोजेक्ट पर संकट; चंबल प्रोजेक्ट के लिए राशि लेने को बढ़ाया था विशेष क्षेत्र का दायरा

चंबल से पानी लाने के प्रोजेक्ट की फंडिंग के लिए राष्ट्रीय राजधानी परियोजना में दो साल पहले शामिल किए गए ग्वालियर क्षेत्र (शहरी) को परियोजना से बाहर करने की तैयारी शुरू हो गई है। प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव के बाद ग्वालियर निवेश क्षेत्र को एनसीआर से बाहर कर दिया जाएगा। इसके बाद काउंटर मैग्नेट सिटी (साडा) का 303.81 वर्ग किमी हिस्सा ही बचेगा।
अभी साडा और ग्वालियर निवेश क्षेत्र का 1059.6 वर्ग किमी का क्षेत्र एनसीआर में दर्ज है। सरकार के इस फैसले का असर चंबल नदी से तिघरा में पानी लाने वाली योजना पर असर दिखाई देगा। क्योंकि इसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड 298.84 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अप्रैल 2018 में ग्वालियर को राष्ट्रीय राजधानी परियोजना में शामिल किया था। इससे साडा का एरिया बढ़ गया था। यह पूरा क्षेत्र मास्टर प्लान के अनुसार तय की गई सीमा रेखा में था। पिछले दिनों भोपाल में इसको लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की मीटिंग हुई। हालांकि इस मामले में भोपाल में बैठे जिम्मेदार स्थिति स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं।
अभी एनसीआर में 3 जिलों का 1552.69 वर्ग किमी हिस्सा शामिल
अभी राष्ट्रीय राजधानी परियोजना में ग्वालियर निवेश क्षेत्र के अलावा साडा, मुरैना और भिंड का हिस्सा शामिल है। यह पूरा क्षेत्र 1552.69 वर्ग किलोमीट का है।
साडा व जीडीए का विलय भी नहीं
ग्वालियर विकास प्राधिकरण का साडा में विलय करने की प्लानिंग कांग्रेस की सरकार में की गई थी। तब सोच थी कि एक जिले में एक ही विकास प्राधिकरण होना चाहिए। चूंकि साडा अध्यक्ष के अधिकार अधिक होते हैं, इसलिए जीडीए का विलय साडा में किया जाना था। लेकिन ग्वालियर को एनसीआर से बाहर करने के निर्णय के बाद अब दोनों प्राधिकरणों का विलय भी नहीं होगा।
एनसीआर के नक्शे में शामिल विसंगतियों को दूर कर रहे हैं
वहां के एरिया को लेकर वर्तमान स्वरूप में कुछ विसंगतियां हैं। इन विसंगतियों को दूर करने की कार्रवाई की जा रही है। इसमें थोड़ा वक्त लगेगा। अभी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सकते हैं।
-अजीत कुमार, आयुक्त (डायरेक्टर) टीएंडसीपी
ये मिलता लाभ लेकिन अब नुकसान
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड ने दो साल पहले चंबल नदी परियोजना प्रोजेक्ट 356.70 करोड़ के लिए 75 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में देना का फैसला लिया था। अब उक्त राशि मिलने में दिक्कत आ सकती है। इससे प्रोजेक्ट खटाई में पड़ सकता है।
शहर में एलिवेटेड सड़क निर्माण की बात भी चल रही है। अफसर इसके लिए एनसीआर से ऋण लेने की प्लानिंग कर रहे थे।
मप्र में भोपाल में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट चल रहा है। ग्वालियर में भी इसका सर्वे पूर्व में हुआ है। भविष्य में मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए ऋण मिल सकता था।
शहर में दो फ्लाईओवर बनाना है। इनमें एक शिंदे की छावनी और दूसरा उप नगर हजीरा क्षेत्र में प्रस्तावित है। इस योजना के लिए भी ऋण ग्वालियर को मिल सकता था।