सांस नहीं ले पा रहा..कहकर तोड़ा दम, 18 अस्पतालों ने नहीं किया इलाज

कोरोना के इस दौर में अस्पताल मरीजों के साथ कैसा सलूक करते हैं इसकी बानगी बेंगलुरु में देखने को मिली है. 18 अस्पतालों ने बहाना बनाकर इलाज करने से मना कर दिया जिसके बाद कारोबारी ने एक अस्पताल के दरवाजे पर ही दम तोड़ दिया.

'अब मैं और नहीं झेल सकता, प्लीज या तो मुझे घर ले चलो या फिर अस्पताल में भर्ती करा दो, मैं सांस भी नहीं ले पा रहा हूं'. ये आखिरी शब्द उसी 52 साल के कारोबारी के हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. आखिरी बातचीत उन्होंने बेंगलुरु के एक अस्पताल के गेट पर अपने भतीजे से की थी. उनकी मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि शहर में मौजूद 50 अस्पतालों में से 18 अस्पतालों ने बिस्तर की उपलब्धता नहीं होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया था.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बेंगलुरु में एक कपड़ा व्यवसायी को तेज बुखार था और उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी. इसके बाद शनिवार और रविवार को कारोबारी का भतीजा उन्हें एम्बुलेंस से शहर के 18 अस्पतालों में ले गया जिसमें कई बड़े अस्पताल भी शामिल हैं. भतीजे के अनुसार, सभी अस्पताल ने उन्हें बताया कि कोई बिस्तर खाली नहीं है और उन्होंने सुझाव दिया कि वो मरीज (चाचा) को कुछ दूरी पर स्थित दूसरा अस्पताल ले जाएं. सभी अस्पताल ने भी यही कहा और उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया.

भतीजे ने कहा कि शनिवार का पूरा दिन अस्पतालों के चक्कर काटते हुए बीत गए लेकिन किसी भी अस्पताल ने उन्हें इलाज के लिए स्वीकार नहीं किया. रविवार को वो अपने चाचा के कोरोना टेस्ट के लिए उन्हें लेकर एक लैब पहुंचे. कारोबारी के भतीजे ने बताया कि कोरोना टेस्ट के लिए सैंपल देने के बाद फिर चाचा के इलाज के लिए किसी अस्पताल में भर्ती करवाने की कोशिश शुरू की. इस दौरान उन्होंने कई रसूखदार लोगों को भी फोन किया लेकिन किसी ने कोई मदद नहीं मिली.

भतीजे के मुताबिक रविवार को लगभग 8 बजे वो अपने चाचा को लेकर लेडी कर्जन अस्पताल पहुंचे. वहां अस्पताल के डॉक्टर उनके इलाज के लिए तैयार तो हो गए लेकिन उससे पहले कोरोना टेस्ट के कागजात दिखाने की मांग की. इस दौरान काफी समय बीत गया और आखिरकार अस्पताल के दरवाजे पर ही कारोबारी ने दम तोड़ दिया.