श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 60 लाख लोगों ने किया सफर, रेलवे के खाते में आए 360 करोड़ रुपये

देशव्यापी लॉकडाउन के बीच बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों की ओर लौटना पड़ा. मजदूरों की घरवापसी में बड़ी भूमिका श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की भी रही. श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का औसत किराया 600 रुपये प्रति व्यक्ति रहा. सोमवार को भारतीय रेलवे ने यह जानकारी दी है.

  • लॉकडाउन में बड़ी संख्या में मजदूरों ने किया पलायन
  • श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए घर पहुंचाए गए प्रवासी मजदूर

1 मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए 60 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाया गया. ट्रेन के जरिए भारतीय रेलवे को 360 करोड़ का रेवेन्यू हासिल हुआ. ट्रांसपोर्टर ने 4,450 श्रमिक स्पेशल ट्रोनों को चलाया, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने इसकी पुष्टि की है.

उन्होंने कहा, 'श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का औसत किराया 600 रुपये प्रति यात्री है. यह ध्यान में रखना होगा कि ये मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों के सामान्य किराए हैं, विशेष ट्रेनों के किराए नहीं हैं जो अधिक होते हैं. हमने 60 लाख यात्रियों को पहुंचाया है. केवल हमने कॉस्ट ऑफ ऑपरेशन का 15 फीसदी खर्च रिकवर किया है. 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार की ओर से वहन किया गया है.'

ज्यादातर प्रवासी मजदूर लौटे अपने घर

अधिकारियों का कहना है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने में कुल 75 से 80 लाख रुपये खर्च हुए हैं. वीके यादव ने यह कहा कि ज्यादातर प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचा दिया गया है, बहुत कम ही मजदूरों को पहुंचाया जाना बाकी है.

उन्होंने कहा, 'हमने 3 जून को ही राज्य सरकारों से कहा है कि वे ट्रेनों के संबंध में अपनी मांगे जाहिर करें, अलग-अलग राज्यों की ओर से हमसे 171 और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की मांग की गई है.'

वीके यादव ने कहा, '14 जून तक हम 22 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चला चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी निर्देश के बाद हमने एक बार फिर अतिरिक्त मांगों के विषय में राज्यों से पूछा. मैंने 14 जून को राज्यों को फिर लिखा कि वे अपनी मांगों के बारे में और सूचना भेजें. जब तक उनकी ओर से मांगे रखी जाती हैं, हम ट्रेनों को भेजते रहेंगे.'

उन्होंने दोहराया कि इन ट्रेनों को चलाने में हुए खर्च को 85-15 के अनुपात से केंद्र और राज्य सरकार वहन कर रही हैं. केंद्र सरकार 85 फीसदी और राज्य सरकारों को 15 फीसदी खर्च वहन करना पड़ रहा है.

टिकट बना बड़ा सियासी मुद्दा

श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लग रहे किराए को लेकर विपक्ष ने बड़ा मुद्दा बनाया था. राजनीतिक पार्टियों का आरोप था कि भारतीय रेलवे श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में मजदूरों से किराया वसूल कर रहा था.

आरोपों का खंडन करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि रेलवे केवल 15 फीसदी चार्ज राज्यों ले रहा था, वहीं 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारें वहन कर रही थीं. उन्होंने जानकारी दी कि फिलहाल 230 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही हैं, जिनमें से ज्यादातर के पास जून और जुलाई तक एक भी वेटिंग लिस्ट खाली नहीं है.