वर्ष 1985 के बाद से अशोकनगर सीट भाजपा से नहीं छीन पायी कांग्रेस

गुना व अशोकनगर जिले की विधानसभा में अच्छा दखल और जीत दिलाने का दावा करने वाले महाराज सिंधिया वर्ष 1985 के बाद अशोक नगर की विधान सभा सीट को भाजपा से छीनने में कामयाब नहीं हो सके,हालांकि महाराज ने अशोकनगर सीट कांग्रेस के पक्ष में लाने के लिये पिछले चुनाव में पूरी ताकत लगा दी थी, लेकिन फिर भी जनता ने भाजपा प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा बांध एक तरह महाराज को नकार दिया था। इसी साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर महाराज के सामने अशोकनगर सीट को लेकर प्रतिष्ठा दांव पर है और इसी को लेकर सिंधिया ऐसे प्रत्याशी की तलाश में जुट गये जो इस बार अशोकनगर सीट को फतह करने में कामयाब हो सके। इसी  को लेकर कुछ दिन पहले सिंधिया की पहल पर अखिल भारतीय कांग्रेस  कमेटी से अशोकनगर विधानसभा सीट के लिए पर्यवेक्षक बनाई गई कांग्रेस विधायक शकुंतला खटीक अशोकनगर पहुंची और दावेदारी करने वालों से बात की। विधायक के लिए टिकिट की लाइन में लगे कई कांग्रेसजनों ने पर्यवेक्षक के समक्ष अपनी दावेदारी दिखाई और भरोसा भी दिलाया कि अगर हमें मौका दिया गया तो भाजपा से सीट हम आसानी से हासिल कर लेंगे।  अशोकनगर विधानसभा सीट क्रमांक ३२ अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित है। वर्ष २००८ में अशोकनगर सीट अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित की गई थी।  पहली बार इस सीट से लड्डूराम कोरी अनुसूचित वर्ग से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वर्ष  २०१३ में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदलकर गोपीलाल जाटव को टिकट दिया और वे इस सीट से विधायक चुने गए। उसके पहले तक यह सीट सामान्य वर्ग के लिए थी। सामान्य वर्ग से इस सीट पर कांग्रेस के रविन्द्र सिंह रघुवंशी चुने गए थे। उसके बाद से भाजपा के प्रत्याशी चुने जाते रहे। १९९८ में एक बार बसपा को भी इस सीट से चुनाव जीतने का मौका मिला। तब बसपा के उम्मीदवार बलवीर सिंह कुशवाह विधायक चुने गए थे।