कारोबारी दिग्गजों ने कहा- इंडस्ट्री को सपोर्ट नहीं मिला तो नौकरियां बचाना मुश्किल होगा

कोरोना की वजह से देश के कारोबार और उद्योग जगत को भारी चोट पड़ रही है. आगे बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की आशंका बनी हुई है. इंडिया टुडे के ई-कॉन्क्लेव में इंडस्ट्री जगत के दिग्गजों ने कहा कि यदि कारोबार और उद्योग जगत को सपोर्ट नहीं किया गया तो आगे चलकर नौकरियां बचाना मुश्किल होगा और सामाजिक रूप से स्थिति विकट हो जाएगी.
- कोरोना की वजह से इंडस्ट्री-कारोबार जगत को भारी नुकसान
- आगे बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने की आशंका
- इंडस्ट्री ने कहा कि सरकार करे सपोर्ट तो जॉब लॉस कम
छोटी कंपनियों के सामने ज्यादा मुश्किल
टीवीएस समूह के चेयरमैन वेणु श्रीनिवासन ने कहा, 'बड़े ग्रुप में सैलरी कट या नौकरी में छंटनी की संभावना कम है, लेकिन टियर टू कंपनियों के लिए यह मजबूरी होगी. बात सिर्फ कंपनियों को बचाने की नहीं है, इससे करोड़ों लोगों की नौकरियां जुड़ी हैं, यह नहीं बचाई गईं तो सामाजिक रूप से बड़ी विकट स्थिति हो जाएगी.
लॉन्ग टर्म में ऑटोमेशन, वर्क फ्रॉम होम जैसे चलन बढ़ेंगे. हमने अपने सभी वर्कर को बचाया है. लेकिन समस्या यह है कि बड़ी कंपनियों को भी अगर राहत नहीं दी गई तो बड़ी संख्या में वे दिवालिया हो जाएंगी.
जीएसटी में राहत हो
इंडस्ट्री चैम्बर सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, 'मौद्रिक हस्तक्षेप चाहिए, रिजर्व बैंक प्रयास कर रहा है. यह देखना होगा कि इंडस्ट्री रोजगार सुरक्षित रहे. यह देखिए कि दुनिया भर में सरकारें सपोर्ट कर रही हैं, एमएसएमई को ऐसा लोन देना होगा ताकि वे छह महीने तक अपने कर्मचारियों को वेतन दे सकें. बड़ी कंपनियों को इस बारे में सपोर्ट देना होगा कि वे छोटी कंपनियों का बकाया चुका सकें.
भारत के पास वह इकोनॉमिक गुंजाइश है. जैसे इस समय कोई उत्पादन नहीं कर रहा है. तो कम से कम सरकार को इस समय जीएसटी में कटौती करनी चाहिए.
अरविंद लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कुलिन लालभाई ने कहा, ' रिटेल सेक्टर में काफी लोग जॉब में लगे होते हैं. शॉर्ट टर्म में फोकस सर्वाइवल और उसके बाद रिकवरी पर होनी चाहिए. कंपनियों को नकदी उपलब्ध कराना होगा और लॉन्ग टर्म में मॉरोटेरियम देना होगा ताकि वे सर्वाइव कर सकें और जॉब लॉस कम हो. परेशान सेक्टर के लिए सरकार सैलरी में पार्ट के रूप में कुछ सहयोग दे सकती है.'
सरकार के सपोर्ट से जॉब लॉस कम हो सकता है
इंडियन होटल्स कंपनी के एमडी ऐंड सीईओ पुनीत चटवाल ने कहा, 'हर संकट एक अवसर भी देता है. हमने काफी एकजुटता दिखाई. सबने काफी अनुशासन दिखाया है. आगे यह महत्वपूर्ण है कि हमने सामूहिक रूप से मिलकर सही ढांचे में काम करें तो जॉब लॉस कम होगा. जैसे 3 महीने का मोरेटोरियम है, इसे बढ़ाकर साल भर किया जा सकता है, राज्य सरकारें बिजली बिल कम कर सकती हैं इंडस्ट्री के लिए. हर किसी के पास नकदी हो, इसके लिए ऐसा प्रयास करना होगा कि मांग बढ़े, जॉब क्रिएशन बढ़े.'