लॉकडाउन से भारत को हो सकता है 100 अरब डॉलर का नुकसान: रिपोर्ट
कोरोना के प्रकोप की वजह से भारत में जो लॉकडाउन चल रहा है उसका इकोनॉमी पर बहुत गंभीर असर पड़ेगा. एक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि 21 दिन के इस लॉकडाउन से भारतीय अर्थव्यवस्था को 100 अरब डॉलर यानी करीब 7.6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
- कोरोना की वजह से देश में 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडान है
- इससे जरूरी कामकाज को छोड़ पूरा व्यापार—उद्योग ठप पड़ा है
- इससे इकोनॉमी को करीब 100 अरब डॉलर के नुकसान का अंदेशा
हर दिन 34 हजार करोड़ का नुकसान
एक्यूट रेटिंग्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को हर दिन 4.5 अरब डॉलर यानी करीब 34 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
गौरतलब है कि कोरोना का कहर दुनिया में बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से दुनिया के करीब एक—तिहाई देशों में लॉकडाउन की स्थिति है. इससे दुनियाभर की इकोनॉमी को काफी नुकसान हो रहा है.
देश में कोरोना वायरस के मामलों ने रफ्तार पकड़ ली है, जो कि चिंता बढ़ाने वाला है. गुरुवार सुबह तक कोरोना वायरस के पॉजिटिव केस की संख्या 2000 के पार चली गई है, जबकि इसके कारण अब तक 65 लोगों की मौत हो गई है.
पीएम ने किया था ऐलान
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च के अपने संबोधन के द्वारा कोरोना के प्रकोप को सीमित करने के लिए 14 अप्रैल तक पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की. लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक है. कुछ जरूरी सामान और सेवाओं के अलावा बाकी सभी कारोबार और इंडस्ट्री ठप पड़ गईं.
सबसे ज्यादा नुकसान टूर और ट्रैवल, फूड, रियल एस्टेट जैसी इंडस्ट्री को हुआ है. इन इंडस्ट्री का ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी जीवीए में करीब 22 फीसदी का योगदान है.
इसकी वजह से कई रेटिंग एजेंसियों ने यह अनुमान लगाया है कि इस तिमाही यानी अप्रैल से जून की तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में महज 2 से 3 फीसदी की बढ़त हो सकती है, जबकि मार्च की तिमाही में जीडीपी में 5 फीसदी के आसपास बढ़त होने का अनुमान है.
एक्यूट रेटिंग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, 'इन सेक्टर में वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में 50 फीसदी का नुकसान हो सकता है. कृषि क्षेत्र में कम नुकसान होगा क्योंकि इससे जुड़े कामकाज चल रहे हैं. लेकिन पशुधन, मत्स्यपालन में कमजोर मांग की वजह से इस पूरे सेक्टर में भी औसत बढ़त महज 3.5 से 4 फीसदी तक रहेगी.'