दिल्ली: लॉकडाउन में दवाओं की भारी किल्लत, टूटने लगी है सप्लाई चेन

कोरोना के संक्रमण से निपटने के लिए पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया लेकिन अधूरी तैयारियों के साथ उठाए गए इस कदम के चलते अब दवाइयों जैसी मूलभूत जरूरत की चीजों की कमी पड़ने लगी है. यातायात व्यवस्था पर बुरा असर पड़ने के चलते दुकानों तक दवाइयां नहीं पहुंच पा रही हैं.

छोटे-मोटे दुकानदार ही नहीं बल्कि सप्लाई व्यवस्था ठप होने के चलते होलसेल बाजार पर भी बुरा असर पड़ा है. दिल्ली के भगीरथ पैलेस में भी काफी कम होलसेल दवाओं की दुकानें खुली नजर आ रही हैं. दुकानदारों के पास पुराना स्टॉक पड़ा है लेकिन नया स्टॉक होलसेल बाजार में भी नहीं पहुंच रहा है.

भगीरथ पैलेस में दीपांशु दवाओं के होलसेलर हैं. दीपांशु के पास दवाइयों का बड़ा स्टॉक पहले से ही मौजूद है लेकिन उनका कहना है कि रिटेल कारोबारी दुकान तक पहुंच नहीं पा रहे हैं. न ही उनकी दुकान से सामान रिटेल कारोबारियों तक पहुंच पा रहा है क्योंकि दिक्कत ट्रांसपोर्ट व्यवस्था की है. लोगों के पास पर्याप्त मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक पास भी नहीं हैं.

दीपांशु का यह भी कहना है कि कई फैक्ट्रियां जो दवाई बनाती थीं, उनके पैकेजिंग के डब्बे कहीं और से आते थे. साथ ही दवाइयों को पैक करने के लिए दूसरी जरूरत की चीजें अलग-अलग यूनिट में बनती थीं, लेकिन मजदूरों के चले जाने के बाद अब वह सब ठप पड़ गई हैं.

दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन भी मानते हैं कि ट्रांसपोर्ट व्यवस्था ठप होने के चलते दवाइयों की किल्लत जरूर हो रही है. भगीरथ पैलेस को भी बंद करा दिया गया था लेकिन सरकार की मध्यस्थता के बाद इसे खोला गया है ताकि राजधानी में दवाइयों की किल्लत न हो. सत्येंद्र जैन का कहना है कि फिलहाल सरकार कोशिश कर रही है कि दवाइयों की किल्लत न हो.

 

टूट रही है सप्लाई चेन

सिर्फ दवाइयां ही नहीं बल्कि मास्क और सैनिटाइजर जैसे दूसरे फार्मा प्रोडक्ट्स की कमी भी बाजार में दिखाई पड़ रही है. मजदूरों के पलायन के चलते कई फैक्ट्रियां बंद पड़ गई हैं. भगीरथ पैलेस में सैनिटाइजर के होलसेल कारोबारी महेंद्र का कहना है कि मजदूरों की कमी के चलते वितरण व्यवस्था चरमरा गई है. उनका कहना है कि जिस यूनिट में सैनिटाइजर बनते हैं वहां मजदूरों की कमी के चलते भी काम ठप पड़ गया है. जिसके पास स्टॉक भी है वह बाजार में भेज नहीं पा रहा क्योंकि ट्रांसपोर्ट व्यवस्था कमजोर पड़ गई है.

मार्कस लैबोरेट्री के मालिक शिवम नंदा का कहना है कि लॉकडाउन के चलते फैक्ट्रियों में मजदूर नहीं हैं, इसलिए सैनिटाइजर का प्रोडक्शन भी बंद है. साथ ही जो स्टाफ मौजूद है उसे पैक करने के लिए बोतल नहीं है क्योंकि बोतल दूसरी कंपनियों से बनकर आता है और वहां भी स्थिति यही है. शिवम नंदा का कहना है कि इन बॉटल्स के लिए जो विशेषताएं पाते हैं, वह चीन से आयात होते हैं लेकिन फिलहाल सब कुछ प्रभावित है. इसके चलते सप्लाई चेन टूट रही है.

प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट की भारी कमी

दिल्ली में कमी सिर्फ दवाइयों और सैनिटाइजर की नहीं है बल्कि फ्रंटलाइन पर लड़ रहे डॉक्टरों की हिफाजत के लिए प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट और वेंटिलेटर की भी है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लोगों से गुहार लगाई कि वह अगर दान देना चाहते हैं तो प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट और वेंटिलेटर का दान करें.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक दिल्ली सरकार के पास फिलहाल 1500 वेंटिलेटर हैं और उनके डॉक्टरों ने ऐसी तकनीकी इजाद की है जिसमें एक वेंटिलेटर से तीन यूनिट चलाई जा सकती हैं. इस यूनिट का सफल परीक्षण हो चुका है और जल्दी ही 1500 वेंटिलेटर को लगभग साढ़े 400 यूनिट के बराबर की क्षमता से चलाया जाएगा.

हालांकि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा है कि अगर लोग इस मुसीबत के दौर में सरकार की मदद करना चाहते हैं तो प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का दान करें या सरकार को बेचना चाहें तो सरकार उसे खरीदने के लिए तैयार है