गोदाम भरे, बच्चे कुपोषित...जानिए क्यों हंगर इंडेक्स में नीचे ही रहता है भारत?

देश में अनाज के गोदाम भरे हैं. अकूत मात्रा में खाद्य सामग्री है. लेकिन इसके बावजूद हमारा देश वैश्विक भूख सूचकांक (Global Hunger Index) में 117 देशों की रैंकिंग में 102वें स्थान पर है. भारत की इतनी बुरी हालत है कि वह पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे छोटे देशों से भी पीछे है. इस रैंकिंग में बांग्लादेश 88 और पाकिस्तान 94 नंबर पर है. जबकि, साल 2000 में भारत की रैंकिंग 103 थी. यानी 19 सालों में सिर्फ एक अंक का सुधार हुआ है. देश में हर रोज करीब 19 करोड़ लोग भूखे सोते हैं. यानी उन्हें भरपूर खाना नहीं मिलता. जबकि, 16 जुलाई 2019 को लोकसभा में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के गोदामों में अभी 1150 मीट्रिक टन अनाज रखा है. आखिर इतना अनाज होने के बावजूद भारत की ग्लोबल हंगर इंडेक्स में रैंकिंग इतनी खराब क्यों है?

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पहले ये जानना जरूरी है कि हंगर इंडेक्स का पैमाना क्या होता है?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स की सूची में मौजूद देशों की स्थिति को चार पैमानों पर मापा जाता है. इन्हीं पैमानों के आधार पर दुनियाभर के देशों के रैंकिंग का निर्धारण किया जाता है.

1. कुपोषण

कुपोषण यानी लोगों को खाने की कमी की वजह से उतनी कैलोरी नहीं मिलती जितनी उन्हें रोजाना चाहिए. नतीजा ये कि लोग कुपोषित रहते हैं. भारत में करीब 19 करोड़ लोग कुपोषण के शिकार हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2015-16 के अनुसार देश में 15 से 49 साल की 22.9 फीसदी महिलाएं और पांच साल से कम उम्र के करीब 37.05 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. जबकि, देश के गोदामों में प्रचुर मात्रा में अनाज का भंडारण है.

2. लंबाई के अनुपात में बच्चों का कम वजन

इसे चाइल्ड वेस्टिंग कहते हैं. यानी लंबाई के अनुपात में बच्चों का वजन कम होना. लोकसभा में पेश एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के करीब 20.8 फीसदी बच्चे अपनी लंबाई के अनुपात में कम वजन के हैं. यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है.

3. उम्र के अनुपात में लंबाई कम होना

इसे चाइल्ड स्ंटटिंग कहते हैं. यानी उम्र के अनुपात में बच्चों की लंबाई कम होना. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-2015-16 के अनुसार देश में पांच साल से कम उम्र के 37.9 फीसदी बच्चे अपनी उम्र के अनुपात में कम लंबाई के हैं.

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4. शिशु मृत्यु दर

इसे चाइल्ड मॉर्टेलिटी रेट यानी हजार बच्चों के जन्म के बाद कितने बच्चे जीवित रहते हैं. देश में पांच साल से कम उम्र के बच्चों का मृत्यु दर प्रति हजार 48.77 है. यानी देश में पैदा होने वाले हर 1000 बच्चो में से 48.77 बच्चों की मौत हो जाती है.  

62 हजार टन अनाज खराब, 8600 टन अनाज लापता!

अगर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की माने तो 2011 से 2017 के बीच फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के गोदामों में 62 हजार टन अनाज खराब हुआ. 2016 से 2017 के बीच 8600 टन अनाज लापता हो गए. अब अनाज खराब होने का आरोप लगता है चूहों, कीड़ों और बारिश पर. लेकिन क्या इन गोदामों में ऐसा व्यवस्थाएं हैं जो अनाज को सही-सलामत रख सकें?

ये बात सही है कि अनाज को आपदाओं और आपातकालीन स्थिति के लिए रखना होता है लेकिन उनकी सलामती की व्यवस्था क्या सही है. एक अनुमान के अनुसार सरकार के लापरवाही से पिछले 10 सालों में सरकारी गोदामों 7.80 लाख क्विंटल अनाज सड़ गया. यानी रोजाना औसतन करीब 43 हजार लोगों के हिस्से का अनाज देश में बर्बाद हो रहा है.