हाई प्रोफाइल मर्डर, दो बाहुबली, 14 साल कारावास और फिर पलट गई थ्योरी

अदालत का यह फैसला मुख्तार अंसारी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से राजनीति में आकर पूर्वांचल के रॉबिनहुड बन गए.

बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सभी पांच आरोपियों को बरी कर दिया है. बता दें, 2005 में हुई इस हत्या का आरोप बसपा विधायक मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत 5 लोगों पर था. इसमें से मुन्ना बजरंगी की बीते दिनों जेल में हत्या कर दी गई थी.

इस मामले में कोर्ट का यह फैसला मुख्तार अंसारी के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है. मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से राजनीति में आकर पूर्वांचल के रॉबिनहुड बन गए. हालांकि आज भी प्रदेश के माफिया और बाहुबली नेताओं में मुख्तार अंसारी का नाम पहले पायदान पर माना जाता है.

कौन हैं मुख्तार अंसारी

मुख्तार अंसारी का जन्म यूपी के गाजीपुर जिले में ही हुआ था. उनके दादा मुख्तार अहमद अंसारी अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे. जबकि उनके पिता एक कम्यूनिस्ट नेता थे. राजनीति मुख्तार अंसारी को विरासत में मिली. किशोरवस्था से ही मुख्तार निडर और दबंग रहे. उन्होंने छात्र राजनीति में कदम रखा और सियासी राह पर चल पड़े. कॉलेज में उन्होंने एक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतने के अलावा कुछ खास नहीं किया. लेकिन राजनीति विज्ञान के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर बी.बी. सिंह के मुताबिक वह एक आज्ञाकारी छात्र थे.

विकास के नाम पर बना था गैंग!

1970 में सरकार ने पिछड़े हुए पूर्वांचल के विकास के लिए कई योजनाएं शुरु कीं. जिसका नतीजा यह हुआ कि इस इलाके में जमीन कब्जाने को लेकर दो गैंग उभर कर सामने आए. 1980 में सैदपुर में एक प्लॉट को हासिल करने के लिए साहिब सिंह के नेतृत्व वाले गिरोह का दूसरे गिरोह के साथ जमकर झगड़ा हुआ. यह हिंसक वारदातों की श्रृंखला का एक हिस्सा था. इसी के बाद साहिब सिंह गैंग के ब्रजेश सिंह ने अपना अलग गिरोह बना लिया और 1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. अपने काम को बनाए रखने के लिए बाहुबली मुख्तार अंसारी का इस गिरोह से सामना हुआ. यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई.

अपराध की दुनिया में कदम

1988 में पहली बार हत्या के एक मामले में मुख्तार अंसारी का नाम आया था. हालांकि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पुलिस नहीं जुटा पाई थी. लेकिन इस बात को लेकर वह चर्चाओं में आ गए थे. 1990 का दशक मुख्तार अंसारी के लिए बड़ा अहम था. छात्र राजनीति के बाद जमीनी कारोबार और ठेकों की वजह से वह अपराध की दुनिया में कदम रख चुके थे. पूर्वांचल के मऊ, गाजीपुर, वाराणसी और जौनपुर में उनके नाम का सिक्का चलने लगा था.