श्रीकृष्णं वंदे जगद्गुरुम् : मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव

मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को 3 दिवसीय अन्‍तर्राष्‍ट्रीय गीता महोत्सव का शुभारंभ उज्‍जैन के दशहरा मैदान से किया। मुख्‍यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर सभी को गीता जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि जगत के गुरु भगवान श्रीकृष्ण को हम सभी नमन करते हैं। कुरूक्षेत्र के युद्ध स्थल में मोहग्रस्त अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिये गये उपदेश को समझने व आत्‍मसात करने के लिए प्रदेश में गीता जयंती से अन्‍तर्राष्‍ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।

पवित्र नगरी उज्जैन ने हर काल, हर परिस्थिति और हर युग में अपने महत्व को बनाए रखा है। आज से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्‍ण ने कंस का वध किया था, और उसके पश्‍चात उन्होंने उज्‍जैन के सांदीपनि आश्रम में आकर महर्षि सांदीपनि से विद्या प्राप्त की थी। सांदीपनि आश्रम में बिना किसी भेदभाव के सभी शिष्‍यों को एक समान विद्या-अध्ययन करवाया जाता था। भगवान श्री कृष्ण ने जन्म से ही कई संकटों को पार करते हुए विकट परिस्थितियों में भी सहज रहकर संकटों का सामना करना हम सभी को सिखाया। कंस वध के पश्‍चात उन्‍होंने अपने नाना उग्रसेन को राज्य हस्तांतरित किया और स्वयं उज्‍जैन में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आये। यहां से शिक्षा प्राप्त करने के पश्‍चात पूरे विश्व को उनके व्‍यक्त्वि ने प्रभावित किया। वर्तमान में विद्या अध्ययन कर रहे सभी विद्यार्थियों को इससे प्रेरणा लेना चाहिए कि जीवन में शिक्षा का महत्व सर्वाधिक होता है। नई शिक्षा नीति के तहत श्री भगवद्गीता को कुछ राज्यों के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है और कई राज्यों ने इसे अपनी शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाने के लिए कदम उठाए हैं। इसका मुख्‍य उद्देश्य विद्यार्थियों में नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देना है। 

मुख्‍मयंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के गुरु महर्षि सांदीपनि ने उनके गुणों को पहचाना तथा अपना सम्पूर्ण ज्ञान उन्‍हें दिया। भगवान श्रीकृष्ण इसके पश्‍चात ही जगत गुरू बने। कर्मयोग का ज्ञान देते हुए उन्‍होंने सम्पूर्ण विश्व में धर्म की स्थापना की और जन-तंत्र के सबसे बड़े नायक बनें। कुरुक्षेत्र के युद्ध में श्रीकृष्ण की सेना को कौरवों की तरफ से युद्ध करना पड़ा था। युद्ध स्थल में विपरीत परिस्थितियों में भी डटकर संकट का सामना करने का संदेश हम सभी को श्रीकृष्‍ण ने दिया। श्रीकृष्ण ने सदैव हमें अन्याय के विरुद्ध लड़ना सिखाया है। भगवद्गीता में जीवन का सार है। इससे बढ़कर कोई ग्रंथ नहीं है। भगवद्गीता हमें जीवन में कठिन समय में भी अपने कर्तव्य को निरंतर करते रहना सिखाती है। भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण के द्वारा दिये गये उपदेश हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। जीवन की सभी समस्याओं का हल हमें भगवद्गीता में मिल जाता है। भगवद्गीता का पाठ हम सभी को नियमित रूप से करना चाहिए। भगवद्गीता हमें ईश्‍वर का स्‍मरण करते हुए अपने कर्मों को करते रखना सिखाती है।