सरदार पटेल, राष्ट्रहित प्रथम के विचार पर सदैव अडिग रहे : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के दूरदर्शी नेतृत्व, अटूट इच्छाशक्ति और अदम्य देश भक्ति ने आज़ादी के बाद बिखरे हुए भारत को एक सूत्र में बांधने के लिए 562 रियासतों का विलय कराया। भारत को एक राष्ट्र में संगठित करने का उनका कार्य इतिहास की सबसे उल्लेखनीय प्रशासनिक उपलब्धियों में गिना जाता है। अपने विशिष्ट व्यक्तित्व में कठोरता और करुणा का अद्भुत संगम लिए वे जहाँ एक ओर राष्ट्रहित प्रथम के पक्ष पर सदैव अडिग थे, वहीं देश की जनता के प्रति वे गहरी संवेदना रखते थे। वे जनता की नब्ज़ समझते थे। सरदार पटेल ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि सच्चा नेतृत्व, स्पष्ट वक्तव्य, निर्णायक कार्यों, स्थिर बुद्धि, लौह संकल्प और शक्तिशाली निर्णयों से पहचाना जाता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150 वीं जयंती के अवसर पर "एक दौड़ देश की एकता और अखंडता के लिए रन फॉर यूनिटी कार्यक्रम के अवसर पर शौर्य स्मारक में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उपस्थितजन को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलाई और रन फॉर यूनिटी को झंडी दिखाकर रवाना किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और भारत माता एवं सरदार पटेल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर देश भक्तिपूर्ण गीतों की धुनें प्रस्तुत की गईं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरदार पटेल मूलतः एक साधारण किसान परिवार से थे। उनके बड़े भाई विठ्ठल भाई पटेल थे। दोनों भाइयों ने अपने-अपने क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया। वल्लभभाई ने अपने भाई के कहने पर विदेश जाकर कानून की शिक्षा प्राप्त की। वे भारतीय राजनीति में एक मिसाल थे, उन्होंने किसानों के साथ हुए अन्याय को देख गांधी जी के आंदोलन में सक्रियता से भाग लेना आरंभ किया। बारडोली आंदोलन के बाद उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली। फिर चाहे नमक आंदोलन हो या भारत छोड़ो आंदोलन, सरदार वल्लभभाई पटेल हर आंदोलन की रीढ़ बन गए। स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान वास्तव में अद्वितीय था।