एक बार में 5 साल के लिए निर्धारित होगा प्रमोशन के लिए रिजर्वेशन

भोपाल. पदोन्नति नियम-2025 में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग को आरक्षण तो दिया गया है पर यह स्थायी नहीं रहेगा। प्रत्येक संवर्ग में प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर इसका निर्धारण पांच साल के लिए होगा। यदि किसी संवर्ग में प्रतिनिधित्व आरक्षण की तय सीमा से अधिक है तो यह कम भी हो सकता है। इसका निर्धारण मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति करेगी। पदोन्नति नियम में एससी-एसटी वर्ग के लिए आरक्षित रखे जाने वाले पदों की गणना के साथ ही प्रत्येक संवर्ग में प्रतिनिधित्व प्रशासनिक दक्षता के आधार पर निर्धारित करने का प्रविधान रखा गया है। एससी के लिए 16 और एसटी के लिए 20 प्रतिशत पदोन्नति के पद आरक्षित रखे जाएंगे।
पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए संवर्ग में आरक्षित वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के पदों की गणना विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक से पहले होगी। इसके लिए संख्या का निर्धारण विभागीय मंत्री, विभागाध्यक्ष और सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव स्तर के अधिकारी की समिति करेगी। इसमें एक सदस्य एससी-एसटी वर्ग से अनिवार्य रूप से होगा।
यदि किसी संवर्ग में विशेष परिस्थिति नहीं है तो आरक्षण एससी-एसटी के लिए 36 प्रतिशत रहेगा। यदि प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता के आधार पर कोई विभाग किसी संवर्ग में आरक्षण कम करने का निर्णय लेता है तो ऐसा मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के अनुमोदन से ही किया जा सकेगा। एक बार जो आरक्षण निर्धारित हो गया, वो पांच साल तक रहेगा। इसके बाद फिर आकलन करके इसे परिवर्तित किया जा सकेगा। यह प्रविधान इसलिए किया गया है क्योंकि हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाले से कहा था कि आरक्षण के लिए प्रतिनिधित्व और प्रशासनिक दक्षता को देखा जाए।