भिंड के कछुए करेंगे गंगा नदी की सफाई, कछुए के गले में पहनायें जायेंगे ट्रांसमीटर की सैटेलाइट से होगी मॉनीटरिंग

भिण्ड. चम्बल नदी में संरक्षण पा रहे दुर्लभ प्रजाति बटागुर और बटागुर डोंगोका के कछुए अब गंगा की सफाई में भी भूमिका निभायेंगे। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत इन कछुओं में खास तरह के ट्रांसमीटर लगाये जायेंगे। जिससे सैटेलाइट से इनकी निगरानी की जासेगी। फॉरेस्ट विभाग इन्हें चम्बल में छोड़ने की तैयारी कर चुका है। अगर यह प्रयोग कामयाब रहा तो यही कछुए भविष्य में गंगा नदी में भी छोडें जायेंगे। जहां वह जैव विविधता को पुर्न जीवित करने मदद मिलेगी।
हर कछुआ कोडिंग के जरिए ट्रैक होगा
फॉरेस्ट विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार, नमामि गंगे अभियान के तहत वन्यजीव संरक्षण संस्थान देहरादून द्वारा भिंड के बरही क्षेत्र में 145 दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का पालन-पोषण किया जा रहा है। अब इन्हें चंबल नदी में छोड़ा जाएगा। खास बात यह है कि इन सभी कछुओं में ट्रांसमीटर लगाए जाएंगे, जो एक विशेष स्क्रू कवर में फिट किए जाएंगे। इन ट्रांसमीटर की बैटरी लगभग दो वर्षों तक सक्रिय रहेगी। प्रत्येक कछुए को कोडिंग सिस्टम के जरिए ट्रैक किया जाएगा, और ट्रांसमीटर से भेजे जाने वाले सिग्नल सीधे सैटेलाइट के माध्यम से विशेषज्ञों तक पहुंचेंगे। इस तकनीक के माध्यम से दो साल तक इन कछुओं की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखी जाएगी- वे नदी में किन क्षेत्रों में जाते हैं, किस प्रकार के वातावरण में ज्यादा समय बिताते हैं, और हेचरी में पले कछुओं व प्राकृतिक रूप से पले कछुओं में क्या अंतर होता है। इन सभी पहलुओं पर डिटेल स्टडी कर समय-समय पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।