मुख्यमंत्री डॉ. यादव देवी अहिल्याबाई होलकर महानाट्य मंचन में हुए शामिल

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह हम सब का सौभाग्य है कि मध्यप्रदेश की ऐसी महान शासिका देवी अहिल्याबाई के जीवन के विभिन्न प्रसंगों को नाट्य मंचन के माध्यम से परिचित होने का अवसर मिल रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव गुरूवार को कालिदास संस्कृत अकादमी के पण्डित सुर्यनारायण व्यास संकुल सभा गृह में देवी अहिल्या बाई की 300वीं जयंती वर्ष के अवसर पर अहिल्या बाई होलकर महानाटय – जीवन, अवदान और वैभव का गान के मंचन कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने डॉ. साधना बलवटे की लिखी पुस्तक ‘’अहिल्या रूपेण संस्थिता’’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल, विधायक श्री अनिल जैन कालुहेड़ा, महापौर श्री मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, श्री संजय अग्रवाल, संस्कार भारती के सह कोषाअध्यक्ष श्री श्रीपाद जोशी, श्री विशाल राजोरिया, श्री जगदीश अग्रवाल, देवी अहिल्या बाई जयंती समारोह के जिला संयोजक श्री उमेश सेंगर, श्री जगदीश पांचाल एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
अतिथियों द्वारा मां सरस्वती और देवी अहिल्या बाई के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। संस्कृति संचलनालय के संचालक श्री एन.पी. नामदेव और कालिदास संस्कृत अकादमी के निदेशक ड़ॉ. गोविंद गंधे ने अतिथियों का स्वागत किया।
केन्द्र और राज्य सरकार देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती वर्ष के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करा रही हैं। देवी अहिल्याबाई ऐसी बेटी थीं, जो विवाह के बाद सास-ससुर की भी बेटी ही बन कर रहीं। बचपन में देवी अहिल्याबाई ने बाजीराव जी की सवारी निकलने पर अपने स्थान से हटने से मना कर दिया था, क्योंकि वे उस समय भगवान शिव की पूजा कर रही थीं, यह प्रसंग उनके साहस को दर्शाता है। देवी अहिल्या बाई सदगुणों की खान थीं। उन्हें शास्त्रों के साथ शस्त्रों की भी शिक्षा प्रदान की गई थी। पति द्वारा युद्ध में जीती गई धन राशि को उन्होनें शासकीय खजाने में जमा करने के लिए कहा था, जो कि उनकी उदारता को दर्शाता है।