संग्रहालयों के तकनीकी उन्नयन से देश-दुनिया में प्रदेश की विशेष बनी है पहचान: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और धरोहरों के प्रति युवाओं की रूचि विकसित करने के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग करते हुए जानकारियों का आकर्षक रूप से प्रस्तुतिकरण आवश्यक है। धरोहरों के संरक्षण के लिए भी अद्यतन तकनीक का उपयोग जरूरी है। इस दृष्टि से राज्य संग्रहालय ने इमर्सिव एक्सपीरियंस सेंटर आरंभ करने का नवाचार समयानुकूल है। प्रदेश में स्मारकों और संग्रहालयों में दर्शकों के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। संग्रहालयों की समृद्ध परंपरा में मध्यप्रदेश जिस प्रकार से कार्य कर रहा है, उससे देश- दुनिया में प्रदेश की विशेष पहचान बनी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव विश्व संग्रहालय दिवस के अवसर पर राज्य संग्रहालय में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इमर्सिव एक्सपीरियन्स सेंटर का लोकापर्ण किया तथा इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में आयोजित कार्यक्रमों का भी वर्चुअल शुभारंभ किया।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम बदलते दौर के भारत में रह रहे हैं। यह बदलाव हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। संग्रहालय अब इतिहासकारों और शोधार्थियों के साथ-साथ जनसामान्य के लिए भी रूचि-आकर्षण और ज्ञार्नाजन के केंद्र का रूप ले रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने राज्य संग्रहालय की सराहना करते हुए कि पर्यटकों के लिए अब भोपाल की यात्रा, राज्य संग्रहालय आए बिना अधूरी रहेगी। उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा- उच्च शिक्षा और पर्यटन विकास निगम संयुक्त रूप से स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों के संग्रहालय भ्रमण का संभागवार क्रम बनाएं, इससे विद्यार्थी, प्रदेश की समृद्ध ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ेंगे और राज्य संग्रहालय की खुबियों से अधिक से अधिक लोग परिचित हो सकेंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उन्होंने कहा कि प्रदेश के धार्मिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक केंद्रो को जन सामान्य से जोड़ने के लिए विभिन्न स्तरों पर गतिविधयां संचालित की जा रही हैं। प्रदेश के प्रमुख नगरों के मुख्य प्रवेश मार्गों पर महापुरूषों को समर्पित द्वार विकसित किए जा रहे हैं। हमारे देवस्थान अभी तक केवल पूजा-पाठ के लिए जाने जाते थे। प्रदेश में निर्मित हुए महाकाल लोक सहित अन्य लोकों ने मंदिरों को आस्था, श्रद्धा के साथ-साथ लोक रुचि का भी स्वरूप प्रदान किया है । प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला, मुद्रा व्यवस्था सहित संपूर्ण जीवन पद्धति उन्नत स्वरूप में थी। नवीनतम तकनीक से इनके संरक्षण और प्रस्तुतीकरण से हमारी समृद्ध धरोहर को वर्तमान और आगामी पीढ़ी की रूचि के अनुकूल बनाए रखने में मदद मिलेगी।