हाईकोर्ट ने स्वर्णरेखा नदी के मामले में निगम अधिकारियों को लगाई फटकार, सुधार नहीं आया तो CBI को सौंप देंगे

ग्वालियर. हाईकोर्ट डबल बैंच में शहर की स्वर्ण रेखा नदी के मामले में सुनवाई की गयी। वषग् 2014 से लेकर 2024 के बीच सीवर और कचरा प्रबंधन पर सभी मदों से किये गये धन खर्च का ब्यौरा मांगते हुए हाईकोर्ट ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। जस्टिस रोहित आर्या ने साफ शब्दों में नगर निगम की ओर अपना पक्ष रखने के पहुंचे अधिकारियों से कहा आप लोगों की लापरवाही और उदासीनता को देखते हुए कहा क्यों स्वर्ण रेखा नदी के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये। साथ ही पूरी वर्किंग के खिलाफ सीबीआई जांच, पूरा रिकॉर्ड सीज करवा देगी, क्योंकि नगर निगम के अधिकारी हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। हाईकोर्ट ने अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई है। इससे पहले भी हुई सुनवाई पर हाईकोर्ट निगम आयुक्त समेत अन्य अधिकारियों को लताड़ लगा चुका है। एडवोकेट अवधेश तोमर ने बताया कि इस मामले की सुनवाई को सोमवार को की जायेगी।
आपको बता दें कि फूलबाग स्थित मानस भवन से लेकर सिंधिया कन्या विद्यालय, बसंत बिहार, प्रेम मोटर्स, से होते हुए कुलदीप नर्सरी से जोड़ा जा रहा है। इसमें टैक्सपेयर्स के पैसे बर्बादी हो रही है। जबकि इससे शहर वासियों को फायदा नहीं होने वाला है। स्वर्ण रेखा नदी के पानी के सैम्पल लेकर चैक करवाया गया तो सैम्पल से सीवर का पानी निकला। अब इसका सैम्पल सोमवार को माधव अंधाश्रम के पीछे से निकल रही नदी का सैम्पल लिया जायेगा।
हाईकोर्ट ने कहा है कि निगम के अधिकारी हाईकोर्ट में आकर झूठ बोल रहे है सबको जेल भेज दूंगा। ऐसा लगता है जैसे स्वर्ण रेखा के नाम पर सारा पैसा कुएं में डाल दिया है। अमृतकाल को यह लोग स्वर्ण दिखाकर जनता को बेवकूफ बना रहे है। जिसके बाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए 15 अप्रैल को निगम से 5 बिन्दुओं पर रिपोर्ट तलब की है। जिसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर वह इस रिपोर्ट से असंतुष्ट हुए तो मामले को सीबीआई सौंप देंगे। आपको बता दें कि 6 माह से लगातार हाईकोर्ट की डबल बैंच में स्वर्ण रेखा नदी के मामले में सुनवाई चल रही है। इस बीच नगर निगम अभी तक अपनी कार्यवाही से हाईकोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पा रहा है। जिसकी वजह से उसको फटकार लग रही है और साथ ही मामला सीबीआई को सौंपने तक की नौबत आ गयी है।
क्या है मामला ऐसे समझिये
ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी के लिए हाईकोर्ट के अधिवक्ता विश्वजीत रतोनिया ने जनहित याचिका साल 2019 में दायर की थी। इससे पहले भी सुनवाई के दौरान कोर्ट नगर निगम कमिश्नर, स्मार्ट सिटी की सीईओ सहित कई अधिकारियों को फटकार लगा चुकी है। इससे पहले नगर निगम की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया था। इसमें लापरवाही और गलतियों पर कोर्ट ने नाराज होते हुए अफसरों को आड़े हाथ लिया था। हर सुनवाई पर अफसरों को फटकार मिल रही है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में फटकार लगते हुए कहा था, ‘नगर निगम और उसके द्वारा पेश किए जा रहे शपथ पत्र न्यायालय का समय खराब कर रहे हैं। टेलिफोनिक चर्चा के आधार पर ही स्वर्ण रेखा नदी प्रोजेक्ट को लेकर रिपोर्ट पेश कर दी जाती है। यह गलत तरीका है।
इन पॉइंट पर मांगा रिकॉर्ड
– स्वर्ण रेखा नदी को जीवित करने में कितना पैसा खर्च हुआ है।
– सीवेज लाइन की मरमत्त के लिए कितना पैसा खर्च हुए है।
– सीवेज प्लांट के लिए कितना पैसा खर्च।
– गार्बेज के लिए, गार्बेज कलेक्शन के लिए कितना पैसा आया है, कितना खर्च किया है।
– 2004 से 2024 तक स्वर्ण रेखा में कितना पैसा खर्च हुआ है उसकी क्षेत्रवार रिपोर्ट तलब किया है।