सांस्कृतिक सरोकारों की शीतलता में दमका पुरखों की विरासत के सच्चे पहरेदारों का हुनर
भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों के गुरु—प्रशिक्षक, नर्तक, कला मर्मज्ञ और कलानुरागियों के महाकुंभ 50वां खजुराहो नृत्य समारोह के छठवें दिन भी विविध कलाओं का संगम देखने को मिला। सुबह का आगाज जहां कला के अंतर्संबंधों को जानने से हुआ तो शाम को कथक नृत्य की प्रस्तुति के साथ ये पांचवां दिन अपने अंजाम तक पहुंचा। नृत्य का यह सिलसिला लगभग अपने अंतिम पायदान तक पहुंच चुका है। सांस्कृतिक सरोकारों की शीतल छाया में पुरखों की विरासत के सच्चे पहरेदारों ने अपनी साधना से समारोह के स्वर्णिम वर्ष को सार्थक कर दिया है। परम्पराओं और प्रयोगों की साझेदारी ने खजुराहो नृत्य समारोह के मंच पर भारतीय संस्कृति की चमक और भी दमक उठी है।
मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के साझा प्रयासों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन — छतरपुर के सहयोग से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो में यह अंतरराष्ट्रीय आयोजन किया जा रहा है। छठवें दिन निदेशक उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी श्री जयंत भिसे ने आमंत्रित कलाकारों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
खूबसूरत शाम में नृत्य का सिलसिला शुरू हुआ पुणे की प्रेरणा देशपांडे के कथक नृत्य से। उन्होंने शिव वंदना से नृत्य का आरंभ किया। उसके पश्चात तीनताल में शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति दी। इसमें उन्होंने कुछ तोड़े, टुकड़े, परन आदि की पेशकश दी। नृत्य का समापन उन्होंने रामभजन से किया। उनके साथ तबले पर सुप्रीत देशपांडे, सितार पर अनिरुद्ध जोशी, गायन में ऋषिकेश बडवे, हारमोनियम पर यश खड़के और पढंत पर ईश्वरी देशपांडे ने साथ दिया।
देश के जाने—माने कथक गुरु और हाल ही में जिनके निर्देशन में कथक कुंभ में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना ऐसे पंडित राजेन्द्र गंगानी ने भी छठवें दिन समारोह में नृत्य प्रस्तुति देकर चार चांद लगा दिए। उन्होंने शिव स्तुति से नृत्य का शुभारंभ किया। नृत्य भावों से उन्होंने भगवान शिव को साकार करने की कोशिश की। इसके बाद तीन ताल में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत करते हुए उन्होंने तोड़े, टुकड़े, परण, उपज का काम दिखाया और कुछ गतों का काम भी दिखाया। नृत्य का समापन उन्होंने राम स्तुति - "श्री रामचंद्र कृपालु भजमन" पर भाव पूर्ण नृत्य पेश कर किया। उनके साथ तबले पर फतेह सिंह गंगानी, गायन में माधव प्रसाद, पखावज पर आशीष गंगानी और सारंगी पर अमीर खां ने साथ दिया।