राज्यपाल श्री पटेल की उपस्थिति में हुआ स्वास्थ्य शिविर

सिकलसेल एनीमिया की बीमारी अनुवांशिक होती है और यह आदिवासी समाज में बहुतायत में पायी जाती है। इसी प्रकार आदिवासी समाज में टीबी के मरीज भी अधिक संख्या में पाये जाते हैं। इन बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाकर इनका उन्मूलन करने की आवश्कता है। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को मिलकर प्रयास करना होगा। यह बातें राज्यापाल श्री मंगुभाई पटेल ने खरगोन में सुशीला देवी उमराव सिंह पटेल सेवा संस्थान द्वारा आयोजित स्वास्थ्य परीक्षण एवं रक्तदान शिविर में कही।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि मैं वहां अवश्य जाता हूँ। जहां दीन दुखियों की सेवा की जाती है। क्षेत्रीय सांसद श्री गजेन्द्र सिंह पटेल द्वारा अपनी माता के द्वारा प्रारंभ किये गए संस्थान के माध्यम से स्वास्थ्य शिविर का आयोजन जनसेवा का अच्छा काम किया जा रहा है। इस शिविर में युवाओं द्वारा रक्तदान किया जा रहा है। रक्तदान, महादान है जो दूसरे की जान बचाने के काम आता है। युवा अधिक से अधिक संख्या में रक्तदान करने के लिए आगे आएं।

राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि देश में 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए निष्क्षय मित्र बनकर सहयोग किया जा सकता है। घर में टीबी का मरीज होने पर उसके अलग रहने की व्यवस्था की जाए और 06 माह तक नियमित रूप से दवा का सेवन करने पर टीबी का मरीज ठीक हो जाता है।

सिकलसेल एनीमिया बीमारी की चर्चा करते हुए राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है और आदिवासी समाज में बहुतायात में पायी जाती है। इस बीमारी से बचने के लिए समय पर इसकी पहचान जरूरी होती है। उन्होंने कहा कि युवा शादी करने के पहले देख लें कि दोनों सिकलसेल से पीड़ित तो नहीं है। यदि लड़का और लड़की दोनों को सिकलसेल की बीमारी है तो उन्हें आपस में शादी नहीं करना चाहिए। ऐसे जोड़े के विवाह करने से पैदा होने वाले बच्चें भी सिकलसेल से ग्रसित होते हैं। सरकार ने वर्ष 2047 तक सिकलसेल निर्मूलन का लक्ष्य रखा है। राज्यपाल ने श्रीअन्य सिकलसेल के मरीजों से कहा कि ज्यादा तैलीय पदार्थ न खाएं और बाहर को भोजन न खाएं, बल्कि घर पर ही मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल करें। भारत सरकार ने “मिलेट” (मोटा अनाज) के लिए 15 हजार करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है।