विपक्ष ही नहीं, 2019 में पीएम मोदी का मुकाबला मोदी से भी है

देश के प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी के लिए वर्ष 2019 एक बेहद चुनौतीपूर्ण साल है. यह चुनौती 2013 में मोदी के उदय के समय की तुलना में कहीं अधिक कठिन नज़र आ रही है. 2013 में मोदी ने सितंबर के महीने में भाजपा का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने के बाद प्रचार के रथ खोल दिए थे. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी एक 10 साल पुरानी सरकार के सामने सपनों और उम्मीदों की थ्री-डी फिल्म दिखाने वाला एक जादूगर खड़ा था.

अकबर ने बीरबल से एकबार कहा था कि वो कागज़ पर बनी एक लकीर को बिना काटे या मिटाए छोटा करके दिखाए. बीरबल ने उस लकीर के समानान्तर एक बड़ी लकीर खींच दी और इस तरह अकबर की लकीर छोटी हो गई. दरबार के रंकों के सामने पेश की गई यह चुनौती आज खुद बादशाहों के गले आ पड़ी है और स्थिति यह है कि लकीर के समानान्तर बड़ी लकीर खींच पाने की सारी कोशिशें नाकाफी साबित होती नज़र आ रही हैं.

देश के प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी के लिए वर्ष 2019 एक बेहद चुनौतीपूर्ण साल है. यह चुनौती 2013 में मोदी के उदय के समय की तुलना में कहीं अधिक कठिन नज़र आ रही है. 2013 में मोदी ने सितंबर के महीने में भाजपा का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने के बाद प्रचार के रथ खोल दिए थे. भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी एक 10 साल पुरानी सरकार के सामने सपनों और उम्मीदों की थ्री-डी फिल्म दिखाने वाला एक जादूगर खड़ा था. इसके पास सपनों की पोटली थी. वादे थे. जो नहीं हुआ है, उसे कर दिखाने का संकल्प था.

एक आइना था जिसमें देखने पर सब अच्छा-अच्छा दिखता था. लोग इस आइने को गुजरात मॉडल कहते हैं. अच्छे अक्स दिखाने वाले इस जादुई आइने पर लोगों ने यकीन किया और उसके बिंबों को सच मानकर उसमें अपनी बदली हुई तस्वीर को देखकर मुग्ध होने लगे. नारा उछला- अच्छे दिन आने वाले हैं.

राजनीति की नदी के एक किनारे से विश्वास खोती जनता को दूसरे किनारे की सजावट अच्छी लग रही थी. मोदी का प्रचार धीरे-धीरे लहर बनता जा रहा था और उस लहर के सामने राजनीति के तमाम कुनबे कमज़ोर पड़ते चले गए. इसी प्रचार और प्रबंधन से लैस मोदी लहर की बदौलत देश में आज़ादी के बाद से पहली बार एक बहुमत वाली ग़ैर-कांग्रेस सरकार का अस्तित्व देखने को मिला और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने.