महाराष्ट्र सरकार में सहयोगी कांग्रेस-NCP के नेताओं में बढ़ी खटपट, क्या MVA गठबंधन पर होगा असर?

 


अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र की सरकार में एनसीपी और शिवसेना के साथ गठबंधन में है. लेकिन लगता है, महाराष्ट्र की सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले की ओर से एनसीपी पर पीठ में छुरा घोंपने का बड़ा आरोप लगाए जाने के बाद दोनों दलों के बीच खटास सामने आ गई है. एनसीपी के नेता व डिप्टी सीएम अजित पवार ने भी पलटवार करते हुए पटोले के बीजेपी से पुराने रिश्ते की याद दिलाई है. प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल ने नाना पटोले की नाराजगी को स्थानीय मुद्दा बताते हुए गठबंधन में तनाव की खबरों को खारिज किया है.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले जिला परिषद चुनाव में एनपीसी के बीजेपी से हाथ मिलाने से नाराज हैं. मंगलवार को गोंदिया जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव में एनसीपी ने प्रतिद्वंदी बीजेपी से मिलकर अपने प्रत्याशी को जितवाया था. इससे कांग्रेस उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद नाना पटोले ने एनसीपी के लिए कहा था कि अगर आप दोस्त बने रहना चाहते हैं तो ईमानदार रहें और पीठ में छुरा ना घोंपे. गैर ईमानदार गठबंधन से अच्छा है दुश्मन सामने से खुलकर वार करे. पटोले ने ये भी कहा था कि वह एनसीपी के पिछले ढाई साल के कारनामों से कांग्रेस आलाकमान को उदयपुर सम्मेलन में अवगत कराएंगे.

उधर एनसीपी ने गोंदिया मामले को स्थानीय घटना बताकर खारिज करने की कोशिश की. सरकार में मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने पटोले के आरोपों को गलत बताते हुए कहा कि गोंदिया में कांग्रेस और एनसीपी के स्थानीय नेताओं के बीच कुछ न कुछ मतभेद रहे होंगे. हम इसे देखेंगे. एनसीपी हमेशा चाहती है कि तीनों दल गठबंधन में साथ रहें. उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार ने पटोले की ‘पीठ में छुरा घोंपने’ वाली टिप्पणी को हास्यास्पद बताते हुए पलटवार किया. पवार ने कहा कि क्या भाजपा को भी उन पर (पटोले) पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाना चाहिए क्योंकि उन्होंने 2018 में कांग्रेस में शामिल होने के लिए भगवा पार्टी छोड़ दी थी.

कांग्रेस और राकांपा के बीच इन झड़पों को स्थानीय कलह बताकर इस आशंका से इनकार किया जा रहा है कि इसका गठबंधन पर असर नहीं पड़ेगा. लेकिन इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट कहती है कि कांग्रेस में ये चिंता बढ़ती जा रही है कि एनसीपी राज्य में धीरे-धीरे उसकी जगह ले रही है. 1990 के दशक में अपनी स्थापना के बाद से राकांपा महाराष्ट्र में अपना विस्तार कर रही है, जबकि कांग्रेस की हैसियत लगातार घटी है. 1999 का राज्य विधानसभा चुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़ा था. इसमें कांग्रेस को 75 सीटें मिली थीं जबकि एनसीपी के खाते में 53 सीटें आई थीं. उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 2006 में 69 सीटें, 2009 में 82, 2014 में 42 और 2019 में 44 सीटें मिलीं. एनसीपी का आंकड़ा देखें तो उसने 2004 में 71, 2009 में 62, 2014 में 41 और 2019 में 54 सीटें जीतीं.