ग्वालियर से बनकर गई गोडसे के साथी नारायण आप्टे की मूर्ति मेरठ में हुई स्थापित

ग्वालियर. शहर में एक घर में चोरी छुपे बनवाई गई गोडसे के साथ नारायण आप्टे की मूर्ति को अब नाथूराम के साथ मेरठ के हिंदू महासभा भवन में स्थापित कर दिया गया। 15 नवंबर 1949 को दोनों को महात्मा गांधी की हत्या में फांसी हुई थी इसलिए दोनों की मूर्ति की स्थापना के लिए यह दिन चुना गया। गांधी के हत्यारों की मूर्ति स्थापना से तनाव का माहौल हो गया है। मेरठ पुलिस दो बार पहले भी मूर्ति स्थापना को रोक चुकी है। मूर्ति स्थापना मेरठ में हुई है लेकिन इसमें ग्वालियर के हिंदू महासभा की टीम का रोल अहम माना जा रहा है। मेरठ के कार्यक्रम की गोपनीय बैठक से लेकर मूर्ति तैयार कराने का पूरा काम ग्वालियर टीम का ही था।

मूर्ति यहां प्रशासन से चोरी छुपे तैयार कराई गई

गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे की बात चले और ग्वालियर व हिंदू महासभा का जिक्र न हो ऐसा हो नहीं सकता है। हिंदू महासभा की एक टीम ने मेरठ हिमस के भवन में सोमवार 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे की मूर्तियों की स्थापना की है। खास बात यह है कि नारायण आप्टे की मूर्ति ग्वालियर में ही बनी है। यह मूर्ति यहां प्रशासन से चोरी छुपे तैयार कराई गई थी। इसके साथ ही नाथूराम गोडसे की मूर्ति भी बनाई गई जिसे कभी भी ग्वालियर में स्थापित किया जा सकता है। आप्टे की मूर्ति सितंबर के आखिरी सप्ताह में मेरठ पहुंचा दी गई थी। पहले उसे 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर स्थापित करना था, लेकिन प्रशासन की सख्ती के चलते नहीं हो सकी। अब जाकर मूर्तियों को स्थापित किया है।

हम चाहते हैं कि गोडसे को युवा पीढ़ी जाने

हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भारद्वाज ने बताया कि उनका मकसद सिर्फ नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे से पूरे देश के युवाओं को परिचित कराना है। युवा पीढ़ी उनके विचारों को समझें। उनके बारे में जितना बताया जाता है उससे कहीं ज्यादा छुपाया जाता है।